पिथौरागढ़ : एक जिलाधिकारी, जो सिर्फ़ पद नहीं एक भावना बन गए ।
पिथौरागढ़ : कभी-कभी कोई व्यक्ति केवल एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं होता, वह एक संवेदना, एक प्रेरणा और एक विश्वास का नाम बन जाता है। इसका एक उदहारण है पिथौरागढ़ के पूर्व जिला अधिकारी विनोद गोस्वामी । जब जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी (IAS) को उनके स्थानांतरण पर भावभीनी विदाई दी गई।तो सभागार में मौजूद हर आँख में एक ही चमक थी — “आभार” की।
हर चेहरे पर एक ही भावना थी — “अच्छे अधिकारी सिर्फ़ आदेश नहीं देते, वे रिश्ते बनाते हैं।”
—13 महीनों की कहानी — विकास, विश्वास और संवाद की

आपको बात दें , विनोद गोस्वामी का 13 महीनों का कार्यकाल पिथौरागढ़ के प्रशासनिक इतिहास में एक प्रेरणादायी अध्याय बन गया। उन्होंने विकास की फाइलों को सिर्फ़ दफ्तर की मेज़ों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्हें जनता के बीच ले जाकर जमीनी हकीकत से जोड़ा।

चाहे , नैनीसैनी एयरपोर्ट का उच्चीकरण हो या सीमांत क्षेत्रों में टूरिज़्म की नई दिशा, हर कदम पर उन्होंने सीमांत जनपद को राज्य की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की। आपदा प्रबंधन की चुनौतियों के बीच उन्होंने एक सशक्त तंत्र खड़ा किया, जहाँ प्रशासन सिर्फ़ राहत नहीं, सुरक्षा और तैयारी का पर्याय बन गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण — हर क्षेत्र में उन्होंने नयी सोच और जीवंतता भरी। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह रही कि उन्होंने हर कार्य में “मानवीय संवेदना” को प्राथमिकता दी।
–जनसुनवाई से जनसंबंध तक — एक संवेदनशील प्रशासक

वो जिलाधिकारी, जिनके कमरे का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था।
वो अधिकारी, जो “फाइल नंबर” से नहीं, बल्कि “नाम और चेहरे” से लोगों को याद रखते थे।
जनसुनवाई में आने वाला हर व्यक्ति सिर्फ़ सुना ही नहीं गया, बल्कि समझा भी गया।

उन्होंने प्रशासन को संवाद का माध्यम बनाया —
जहाँ जनता, अधिकारी और सरकार — तीनों एक ही मंच पर खड़े दिखाई दिए।शायद इसी लिए आज जब वे विदा हुए, तो यह सिर्फ़ एक अधिकारी की नहीं,बल्कि एक भरोसे की विदाई थी।
सहकर्मियों की आँखों में सम्मान, शब्दों में अपनापन

समारोह में जब सीडीओ डॉ. दीपक सैनी, पुलिस अधीक्षक रेखा यादव और अन्य अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए,
तो शब्दों में औपचारिकता नहीं, सच्ची भावनाएँ थीं।
किसी ने कहा — “उन्होंने हमें टीम बनना सिखाया।”
किसी ने कहा — “उनका नेतृत्व शांत भी था, निर्णायक भी।”
विकास भवन परिवार के हर सदस्य ने माना कि
उनके नेतृत्व में कार्य करना सिर्फ़ एक जिम्मेदारी नहीं,
बल्कि एक सीख थी — कैसे प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी मानवीय बना रहा जा सकता है।

“पिथौरागढ़ मेरे लिए एक अनुभव रहा”
अपने विदाई संबोधन में जिलाधिकारी गोस्वामी ने कहा
—-“पिथौरागढ़ मेरे लिए केवल कार्यस्थल नहीं, बल्कि एक अनुभव और सीख का विद्यालय रहा।
यहाँ की जनता की मुस्कान, मेरे हर निर्णय की प्रेरणा रही है।”

रिपोर्ट – हेमंत कुमार, News Pth Tv जौलजीबी/पिथौरागढ़

