नैनीताल : नाबालिग प्रेमी जोड़ो में सिर्फ लड़को को ही क्यों “सज़ा”।
नैनीताल। हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार व डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने अधिवक्ता के आग्रह पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह नियत कर दी। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकरी के अनुसार , बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हाई कोर्ट की अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा लड़के को दोषी माना जाता है।
तमाम मामलों में लड़की आयु में बड़ी होती है, फिर भी लड़के को ही हिरासत में लिया जाता है और उसे अपराधी बनाकर पॉक्सो एक्ट के तहत जेल में डाल दिया जाता है जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए। जिस उम्र में उसे स्कूल कॉलेज होना चाहिए था, वह जेल में होता है।

ऐसे मामले में जुवैनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामले में लड़के, लड़कियों व स्वजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए। जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी किशोरों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रविधान है ।

